Disclaimer:
मेरा लेख का किसी धर्म, जाति और संप्रदाय से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि जिसको भी या जिस भी
धर्म, जाति और
संप्रदाय को जब भी मौका मिला है उसने महिलाओं के शोषण की कोई कसर नहीं छोड़ी है।
क्यों और कैसे वह आप आगे स्वयं पढ़ेंगे भी और जानेंगे भी वैसे यदि कोई उदाहरण याद
आया हो तो पास रखना और कोशिश करना कि आप कभी भी किसी स्त्री पर उसे व्यवहारिक रूप
से सजीव न करें।
पर हां इस लेख का संबंध हर एक जीवित और मृत व्याहता से है जिसने एक दो या
जितनी भी बार व्याह किया हो ( आख़िर उसकी मर्ज़ी की भी कोई कदर करो)।
शादी व्याह, यूं तो
बहुत किस्म के हैं पर हम यहां आज के चलन के अनुसार मैं दो किस्म के विवाह की ही
बात करूंगा ।
१. Love Marriage/ प्रेम विवाह
२. Arrange Marriage/ व्यवस्था विवाह
युवाओं को तवज्जो देते हुए पहले हम प्रेम विवाह / love marriage की बात करेंगे जिसमें आज कल न प्रेम है
और न love ।
Every love affair is a failure, without exception~ osho
मैंने ओशो को quote इसीलिए
किया ताकि मैं यह कह सकूं कि मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं हूं क्योंकि अब इस
विचार पर विचार कर नए विचार को देने का विचार स्वत ही विचार बन कर विचरण करने लगा
है कि Every marriage is a failure, without exception~ कार्तिक।
प्रेम आज के युग में सबसे बड़ा झूठ है या यह कह लीजिए कि दूसरों के शारीरिक
शोषण की सबसे सरल पद्धति। वैसे तो प्रेम पर प्रिय बॉलीवुड ने कुछ अद्वतीय और
अभूतपूर्व गीत भी दिए हैं जैसे उनमें से एक "१६ वर्ष की वाली उम्र को सलाम प्यार तेरी
पहली नज़र को सलाम"।
यदि आप सब में किसी ने भी ९ वीं कक्षा की biology यानि जीवविज्ञान की किताब में sexual reproduction
यानि यौन
प्रजनन के बारे में कक्षा में अपने अति उत्साह को रोक कर उसे ज्ञान के रूप में पड़ा
हो तो आपने उधर puberty यानि यौवन
के बारे में पढ़ा ही होगा और जानते ही हैं कि यह मनुष्य में यौवन किलकारियां मारता
है तो वो दूसरे व्यक्ति की और आकर्षित होता है फ़िर चाहे महिला पुरुष हो, पुरुष पुरुष या महिला महिला (मुख्य
न्यायालय ने अपना फ़ैसला ३७७ पर दे दिया है तो अब आप इसका बुरा मान सकते हो पर LGBTIQ का कुछ उखाड़ नहीं सकते अफ़सोस)। अब आप
जब hormonal changes यानि ग्रन्थिरस परिवर्तन से उत्पन्न आकर्षण को प्रेम का नाम देते हो तो
समझिए आप एक झूठ की नींव पर इमारत का निर्माण करते हो और फिर आप दूसरे के शारीरिक
शोषण को भी प्रेम करने या love making का ही नाम दोगे फिर आप उसे नोच कर रख दोगे अपनी आंतरिक शारीरिक भूख मिटाने
के लिए और यह सब होगा सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रेम और प्रेम करने के नाम पर ।
प्रेम करने की उम्र तो ६-१० वर्ष है जब तक यौवन की किलकारियां प्रस्फुटित न
हुई हो और जिस १६ वर्ष को तुम प्रेम का पहला पड़ाव मानते हो वो तुम्हारी काम अग्नि
के अपितु कुछ नहीं है और बाकि ६० के बाद ही तुम कहना की प्रेम हुआ है या तब जब
तुम्हारा लिंग बात बात पर पर्वत मेरु के समान और अंगद की जांघ के समान न खड़ा हुआ
करे। जब तुम अपने साथी के समक्ष केवल संभोग के अलावा भी जा कर उसे स्पर्श कर सको।
जब उसका यौवन अपने ढलान पर हो, हाथ कंपन करते हो, चेहरे पर
झुर्रियों का डेरा हो, दांत भी
नकली हो और जुबान भी ज्यादा चलने लग पड़ी हो यदि उस अवस्था में भी प्रेम कर पाए तो
समझना प्रेम किया अपितु बाकियों की तरह तुम भी गाते गुनगुनाते रहना "१६ वर्ष
की वाली उम्र को सलाम प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम" !!
Arrange marriage/ व्यवस्था विवाह : जिसे मैं व्यवस्था कम व्यवसायिक विवाह कहना ज्यादा पसंद
करता हूं। आप व्यवसाय ही तो करते हो लड़की का, आप में और दल्ले में कोई फ़र्क है कोई
पैसे लेकर कोई पैसे देकर दोनों ही तो लड़की के शरीर को व्यय की वस्तु से अधिक तो
नहीं मान पाते हैं ।
एक दो मुलाकातों में यदि आप किसी को जीवन साथी मान लेते हो तो आपसे ज्यादा
समझदार तो गांव का अनपढ़ है जो अपनी अनपढ़ता में बेटी का बाल विवाह तो कर देता है
पर उसके होने वाले साथी को अपनी योग्यता गौने तक दिखानी भी पड़ती है और कम से कम
६-१० साल मिल भी जाते है जानने समझने को पर तुम पढ़े लिखे तो व्यापारी हो पक्के
व्यापारी जिनको अब समय के साथ जिस्मों के धंधे की महारत हासिल हो गई है।
Arrange Marriage / व्यवस्था विवाह / व्यवसायिक विवाह का एक और ड्रामा भी है जन्मपत्री मिलन। जिसकी मिल गई वो ही
खुश रहेंगे और जिनकी नहीं वो दुःखी पर जब शादी में जन्मपत्री के मिलान और सारी
रीति रिवाजों के बाद भी जब उनका तलाक हो जाता है या कुछ उन्होंनी हो जाती है तो
फिर तुम क्यों नहीं पूछते हो उन ढोंगियों को जो तुमसे यह सब बेवकूफियां करवाते
फिरते हैं ?
जब शादी होती है तो मंडप में बैठे तो वर बधू को लक्ष्मी नारायण का रूप माना
जाता है उनकी आरती की जाती है और वही जब शादी के समय उपरांत राम तड़का या दुर्गा
दैत्य बनते हैं तो तुम क्यों सवाल नहीं पूछते इन रीति रिवाजों पर ? अपनी खोखली होती जा रही संस्कृतियों पर
?
अक्सर भारतीय महिलाएं पति से दो कदम की दूरी के फैसले पर चलती है ( domestic violence /
घरेलू
हिंसा से बचने का बेहतरीन तरीका है यह वैसे) पूछने पर बोलती हैं कि हम तो पति की
हम तो पति की backbone / रीड की हड्डी हैं और वही पति उसी backbone / रीड की हड्डी को सीधा करवाने कभी कोठे
तो कभी थाईलैंड पहुंच जाता है ।
मन की बात :
कोई भी समाज हो जिसे जैसा मौका मिला उसने वैसे शोषण किया और भरपूर किया।
कभी महिलाओं को समाज के नाम पर, कभी धर्म और कभी रीति रिवाजों पर जकड़े रखा एक अदृश्य पाश में खास कर शादी
नामक सर्प पाश में जो न निकलने देता है और जान भी धीरे धीरे कर के लेता है। जिस
देश में ४९% महिलाओं की जन संख्या होने के उपरांत भी उनका शोषण हो रहा हो तो समझ
लीजिए कि कुछ तो गड़बड़ चल रही है, कहीं कुछ तो ठीक नहीं है। पर याद रखना
जब यह मानसिक गुलामी टूटेगी तो होगा विस्फोट पुरानी रूढ़ीवादी विचारों का और तब
नींव रखी जाएगी एक नई संस्कृति और एक नई सभ्यता की ।
Amazing
ReplyDeleteThanks 😊
DeleteBhut khub kartik bhai bhut acha lekh hai
ReplyDeleteDhanyavaad Mitra
DeleteGood
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