अरुणिमा तेज नहीं मुख पर, न आँखों के साहिल पर काजल की माया,
फिर भी ऐसा क्या है तुझमें प्रियतम जो मेरे मन को भाया?
भायी मुझे तेरे स्नेह तरूवर की अनुहार,
वो मधुयुक्त मधुशब्दों की मृदु फुहार,
वो चंचल मुस्कान अचंभित,
वो शब्दघटा करती मुझको मुदित,
कठपुतलियां पुतलियां बनती नैनों की,
डूबता था मैं सांझ पर ही, दिखलाई छैल छबीली छवि रैनों की,
वो व्याकुलता से संदेशों का इन्तज़ार,
वो हंसना रूठना तेरा मेरे हृदय के भाव सागर में उठता लहरें अपार,
स्वप्न और मृगतृष्णा की यह कैसी पहेली रच डाली,
बुझी तो फिर भी मेरे मन ने यह व्यथा कह डाली,
क्या तुम नगरी कोई स्वप्नों की, कोई मृगतृष्णा या कोई माया...
ऐसा क्या है तुझमें प्रियतम जो मेरे मन को भाया ?
Who's the girl man?
ReplyDeleteReveal ur identity I'll dm u !!
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