Disclaimer: मेरा किसी भी प्रकार के नशे से तो वैसे कोई दूर-दूर तक का लेना देना नहीं है और ना ही मैं किसी प्रकार का नशा करता हूं, पर मुझे नशे करने वाले व्यक्तियों से भी किसी तरह की आपत्ति नहीं है जब तक वह मेरी अपनी निजता का हनन न करें । किस्सा: अभी हाल ही में मुझे एक पहाड़ी क्षेत्र में विचरण करने का मौका मिला। जब मैं अपने मित्र के यहां पहुंचा तो वहां कुछ बुजुर्ग लोग बैठकर हुक्का पी रहे थे। तभी एक बुजुर्ग आदमी ने मुझसे भी पूछा: बेटा हुक्का पियोगे ? मैंने फट से जवाब दिया: मैं नहीं पीता जी। तो फिर बुजुर्ग आदमी ने जवाब देते हुए कहा: पी लो बेटा बीड़ी से अच्छा होता है । मेरे मन में एक विचार शून्य अथवा अंधकार की भांति प्रवाहित हुआ और विचार आया कि मुझे एक लेखक होने नाते इस संदर्भ में कुछ लिखना चाहिए ताकि स्थिति थोड़ी स्पष्ट हो सके इसलिए यह लेख लिख रहा हूं ताकि एक सामंजस्य स्थापित कर पाऊं नशा करने वालों में और न करने वालों में । आज के सामाजिक परिदृश्य में भारत मुझे एक झूले के भांति अनुभूति देता है, जो झूल रहा है नशा करने वालों और न करन...
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