Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2019

शीर्षक : भारत

शांत हुआ हूं, पर हुआ अब तक मौन नहीं || नव स्वर्णिम अरुणिमा से ले प्रकाश, ढांढस देता स्वयं को, बांधता नव चेतना की आस, प्रखर-शिखर पार कर, नौका को मझधार से तार कर, पहुंचना जीवन रथ, महाभारत की भूमि पर, दोहराना जीवन महाभारत, कुरुक्षेत्र की भूमि पर, आत्ममंथन से ज्ञात हुआ है मुझमें कौन नहीं, शांत हुआ हूं, पर हुआ अब तक मौन नहीं ||१|| बलिदान हो स्थूल सारा स्थल पर, जीतना है स्वयं को महाभारत के बल पर, जीवन रथ चाहे हो डगमग, लड़खड़ाए चाहे प्राण घटक के पग, सारथी बन थामता, जीवन सूत्र हूं जानता, समयधारा को जीवन धरा पे बांध, अडिग कर्तव्य पथ पर, मानो अंगद की जांघ, पर्वत मेरु के समान, दृष्टा अडिग चट्टान, चेतन स्वर की गूंज, आकाश पग नयन स्वप्न से चूम, नवनीत मंथन से ज्ञात हुआ है मुझमें कौन नहीं, शांत हुआ हूं, पर हुआ अब तक मौन नहीं ||२||